अगर आप कहीं घूमने जा रहे हैं
तो कहां ठहरना पसंद करेंगे।
होटल, रिजॉट या घर की तरह दिखने
वाले गेस्ट हाउस में। सबके
अपने विचार हो सकते हैं। आज
की पीढ़ी के कई लोग गांव में
नहीं रहे हैं। खेतों में काम
नहीं किया है। वह इस बात से परिचित
नहीं है कि एक झोपड़ीनुमा घर
में रहने की क्या फिलिंग होती
है। इसी फिलिंग को लोगों को
फील कराने के लिए अब कई होटल
हिल स्टेशनों पर गांव के घरों
की तरह होटल भी बना रहे हैं।
लेकिन यह जो तस्वीरें आपके
सामने हैं वह गांववालों के
ही घर है जिसे उन्होंने गेस्ट
हाउस में तब्दील कर दिया है
जिसमें यहां घूमने आए सैलानी
वह फील करे और गांववाले
भी कुछ पैसे कमा ले। यह एक अच्छा
सौदा है।
इस तस्वीर में एक नीली खिड़की
है। जिसके ऊपरी हिस्से में
एक पक्षी का आकृति उकरी हुई
है। नीला रंग मुझे हमेशा उम्मीद
से ओत-प्रोत लगता है। जैसे नीला
आसमान। यहां के जितने भी कमरे
या दीवारें है वह बिना किसी
रंग के हैं लेकिन कुछ भाग तेज
नीले रंग का है जो अनायास की
आपकी नजरों को अपनी ओर खिंच
लेता है।
झोपड़ीनुमा घर में दरवाजे
और खिड़कियां नीले रंग की है।
निश्चित रूप से यह गांव का घर
लग रहा है। लेकिन इसमें नए रंग
को जोड़ कर इसमें कुछ नयापन
लाने की कोशिश की गई है। जिससे
यह सभी को अपनी ओर खिंच सके।
कुछ बांस की खाली कुर्सियां
है। इस जगह अगर मुझे लोहे की
कुर्सियां दिखती तो ज्यादा
अचंभा होता। बांस की कुर्सियां
इस जगह को बिल्कुल सूट कर रही
हैं। यह कुर्सियां इंतजार कर
रही उन लोगों का जो इस पर बैठ
हंसे, लड़े और चाय की चुस्कियों
के साथ शहरों को भूल बस इस पल
का मजा ले।
यह शायद कमरे को गर्म रखने
की चिमनी है। इसके साथ ही दीवारों
पर कुछ और चीजें भी लटक रही हैं
जो वहां की परंपरा की दर्शा
रही है। इस दीवार में दरवाजे
के बगल में जो छोटी से जगह कुछ
रखने के लिए बनी है आमतौर पर
वैसी जगह गांव के घरों में दीये
रखने के लिए बनी होती है। और
जिसका ऊपरी सिरा काला पड़ा
होता है। चूंकि अब यह केवल एक
फील के लिए गांव जैसा घर तो यह
साफ दिख रहा है। दीवार का रंग
भी गांव में जैसे मिट्टी की
दीवार गोबर सो लीपी गई होती
है उसी प्रकार का है।