Sunday 4 December 2016

Rock Temple


धर्म किसी परंपरा, रीति-रिवाज, नियम, आस्था को धारण करना होता है जिसे ओढ़कर वह अपनी पूरी जिंदगी बसर करता है। हर धर्म के अपने धार्मिक स्थल होते हैं। हर धार्मिक स्थल के साथ कोई-न-कोई कहानी जुड़ी होती है। जिसे वहां जाने वाला व्यक्ति जानना चाहता है। हर स्थल को जिस व्यक्ति ने बनाया होता है वह उसमें अपनी छाप छोड़ता है। जैसे उत्तर भारत के मंदिर के मुकाबले दक्षिण भारत के मंदिरों की दीवारों पर बहुत ज्यादा कारिगरी दिखती है। इस धार्मिक स्थल की दीवारे भी कुछ वैसी ही हैं। जिनपर काफी नक्काशी की गई है। जिससे इस स्थल का आकर्षण बहुत ही ज्यादा बढ़ गया है।

इस  तस्वीर में एक मंदिर के आगे का हिस्सा दिखाई दे रहा है जिसके आगे दो व्यक्ति खड़े हैं एक निश्चित रूप से पुजारी लग रहा है और मंदिर के अंदर दीपक की रौशनी जल रही है। किसी भी धार्मिक स्थल की तस्वीर जब भी कोई व्यक्ति देखता है अनायास ही सके मन में एक अलग भाव उमड़ पड़ता है। यह तस्वीर भी इस बात से अलग नहीं है।



मंदिर के दो गुबंद और नीला आकाश यह तस्वीर निश्चित रूप से बहुत ही नयनप्रिय है। और जो लोग इसके आसपास दिखाई दे रहे हैं मेरे अंदाजे से वे यहां पूजा करने नहीं आए बल्कि इस मंदिर की खूबसूरती को देखने आए हैं। पत्थरों पर नक्काशी कर इस मंदिर को बनाया गया है और जिस समय इस मंदिर को बनाया गया है उस समय के लिहाज से यह आसान काम नहीं रहा होगा।




इस तस्वीर में जो बात सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही है वह है इसका नीला आसमान। नीला आसमान किसी भी तस्वीर का आकर्षण मूल्य बढ़ा देती है। वही कुछ इस तस्वीर के साथ भी है।






मंदिर के दूर से ली गई एक शानदार तस्वीर। आगे बड़े-बड़े पत्थर दिखाई दे रहे हैं और दूर मदिंर के दौ गुंबद नजर आ रहे हैं। मंदिर जिस पत्थर से बना है उन्हीं पत्थरों में से ही आगे की इस दीवार को बनाया गया होगा। पर हर वस्तु की अपनी मजिंल होती है कोई मंदिर की शिला बनता है तो कोई उसको बचाने वाली दीवार। लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि इससे किसी की अहमियत कम या ज्यादा हो गई। हर किसी का अपना काम है वह महत्वपूर्ण है।



मंदिर का द्वार जिसके बीच से होकर मंदिर के प्रांगण में प्रवेश किया जा सकता है।