Wednesday 1 March 2017

The Evening of life

<<<<< Thanks for Visiting us >>>>>
<<<<< Please LIKE & SHEAR >>>>>


वैसे हमेशा तस्वीर को देखकर यह कहना मुश्किल होता है कि वह सुबह की है या शाम की। कि मैं ऐसा मान कर चल रहा हूं कि इस तस्वीर को लेने वाले सुबह उठने की जहमत नहीं उठाई होगी। लेकिन यह सुबह की फोटो भी हो सकती है। मेरी नजर में यह शाम की फोटो है। शाम और सुबह के सूर्य में हमेशा कुछ अंतर होता है। जहां सुबह का सूर्य ऊर्जा, तेज और नई स्फूर्ति प्रदान करता है वहीं दूसरी ओर शाम का सूर्य शांति, आलस और आराम प्रदान करता है। यह दोनों इसलिए भी है कि सुबह आपको उठकर काम करना होता है, दिन की शुरुआत करनी होती है, नई चीजें देखनी होती है। या कहें की पुरानी चीजों को ही दुबारा झेलना होता है जिसके लिए ऊर्जा और नई स्फूर्ति की आवश्यकता होती ही है। दूसरी ओर शाम को आप दिन का अंत कर रहे होते हैं जिसके पूरे दिन के बाद आपको शांति की जरूरत होती है। शायद यही कारण है कि प्रकृति वह आपको सब चीजे मुहैया कराती है जिससे आपको और आपके शरीर को आराम मिल सके। प्रकृति और मानव और संबंध भी गजब का है। दोनों का संतुलन इस प्रकार है कि अगर इसमें ज्यादा छेड़-छाड़ न की जाए तो दोनों को ही हानि नहीं होगी। लेकिन होता इसके विपरीत है। हम प्रकृति का दोहन करने से पीछे नहीं हटते और वह अपने आप को बस संभालती ही रहती है। लेकिन एक दिन तो ऐसा आएगा ही जब वह अपने आप को सही नहीं कर पाएगी और हमारा किया हुआ विकास हमें ही भारी पड़ेगा।


बिन पत्तों का पेड़ और शाम दोनों का समन्वय अच्छा नहीं लगता। यह जिंदगी की शाम होने के अहसास के समान है। वैसे हर जीवित व्यक्ति और चीज की जिंदगी में यह दिन आना ही है लेकिन फिर भी उसके आने से एक अजीब सा अहसास दिल में जन्म ले लेता है। जबकि कई लोगों ने मौत को सुंदर बताया है। मुकद्दर और सिकंदर फिल्म का गाना कि- जिंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएंगी, मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी। सूखी शाखाएं, डलता हुआ दिन, एक टूटी झोपड़ी। जिंदगी की वास्तविकता बताने के लिए काफी है। और जिंदगी की वास्तविकता यही है कि एक दिन सभी की जिंदगी की शाम होनी है। आप चाहे या न चाहे।


<<<<< Thanks for Visiting us >>>>>
<<<<< Please LIKE & SHEAR >>>>>

इस तरह की तस्वीर देखकर अनायास की मुंह से वाह निकल जाता है। आप इस Image के समय को Imagine कर सकते हैं कितने सुकून भरे पल होंगे उस समय। दिन की अंतिम की लालिमा आपको अंतिम सलाम कर लौट रही है। या यों कहें की पृथ्वी ही एक ओर करवट बदल कर उसे आराम और दूसरी ओर के व्यक्तियों को जगा रही है। इसमें जो पेड़ दिखाई दे रहा है वह कुछ-कुछ क्रिसमस के पेड़ की भांति है। मुझे इस बात का कोई आइडिया नहीं है कि क्रिसमस में ट्री को क्यों सजाया जाता है। लेकिन यह ट्री बिना सजाए की प्रकृति के छटा में खूबसूरत दिखाई पड़ रहा है। दिक्कत यह है कि अब शाम देखने की किसी के पास फुर्सत नहीं रही। वैसे शहरों में अब तो शामें दिखाई ही नहीं देती। ऑफिस में बैठे-बैठे कम दिन से शाम और शाम से रात हो जाती है किसी को पता ही नहीं चलता। फिर कभी कहीं बाहर निकलते हैं और डूबता हुआ सूर्य देखते हैं तो मुंह से निकलता है कि ऐसे सूरज को देखे अरसा बीत गया है। क्या करें जिंदगी की जद्दोजहद यही है। 


आकाश की वास्तविकता यह है कि वह पूरा काला है। उसमें कोई इंद्रधनुषी रंग नहीं है। लेकिन सूर्य की वजह से वह हमें कई रंगों में दिखाई देता है। इस तस्वीर में आसमान जिसका कोई रंग नहीं है वह पूरा नीला है और जमीन जिसके कई रंग है वह काला दिखाई दे रहा है। सब सूर्य की महिमा है। हर रंग के अपने मायने और माया है। काला रंग ज्यादा लोगों को पसंद नहीं है शायद यही वजह है कि पश्चिम में काला रंग किसी के दुनिया छोड़ जाने पर पहना जाता है। दूसरी ओर नीला रंग मुझे हमेशा उम्मीद की निशानी लगती है। वैसे नीला रंग मेरा पसंदीदा रंग नहीं है फिर भी वह दिल को सुकून देता ही है।


<<<<< Thanks for Visiting us >>>>>
<<<<< Please LIKE & SHEAR >>>>>