Wednesday 8 March 2017

Don’t Move, Statue

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रचनात्मकता या क्रियेटीविटी या कलात्मकता किसी भी रूप में हो सकती है। वह शब्द हों, चित्र या मूर्ति कला। सभी अपने अंदर के भावों को व्यक्त करने का एक सशक्त जरिया हैं। की बार जो बात हम हजारों शब्दों में भी वयक्त नहीं कर पाते वह किसी कविता या शेर में चंद पक्तियों में व्यक्त हो जाती है। ठीक इसी प्रकार चित्र या मूर्ति के साथ भी होता है। लेकिन शब्दों के  विपरीत चित्र या मूर्ति में हर व्यक्ति अपनी तरह का बात उसमें खोज निकालता है। इस बात की पूरी संभावना है कि एक ही चित्र में देखकर एक व्यक्ति एक बात कहें जबकि दूसरा व्यक्ति दूसरी बात और पता चले कि चित्रकार तीसरी बात सोच रहा है। मूर्तियों के साथ कुछ इसी तरह की होती है।


मूर्तिकला वर्षों पुरानी कला है। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी यह कला थी और उस समय के लोगों ने कई प्रकार की मूर्तियों को बनाया। उस समय मूर्तियों के निर्माण का आधार था, वह जो कुछ देखते थे वही वह बनाते थे। इससे ही हमें इस बात का पता चलता है कि वह किसकी पूजा करते थे और उस समय कौन-कौन से जानवर या पौधे अस्तित्व में थे। यह इतिहास को समझने का भी एक अहम जरिया है। इस मूर्ति एक बालक नजर आ रहा है जिसके दोनों हाथों में कुछ है और केवल एक पांव जमीन पर है। बालक की मूर्ति के कारण साफ झलक रहा है कि इसमें मासूमियत है। जैसे लग रहा है कि बालक आखेट कर रहा है। बचपन में जैसे बच्चे केवल चड्डी पहनकर खेलने भाग जाया करते थे इसमें भी बालक के ऊपरी अंग खाली है और नीचे केवल बड़े कलात्मक तरीके से ढका हुआ है। इसके दोनों हाथ में जो चीज है उसे मशाल कह सकते हैं वैसे मुझे ज्यादा कैंडल स्टैंड लग रहा है। उस स्थिति में भी दोनों हाथों में मशाल ही होगी। केवल एक पांव जमीन होने के कारण यह आखेट मूर्ति ज्यादा लग रही है। क्योंकि बच्चे हमेशा भागते रहते हैं जिस कारण उसका क पांव हवा में ही रहता हैl

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घर के कोनों को इस्तेमाल करने का यह सटीक तरीका है। इस तस्वीर में पांच चीजें दिखाई दे रही हैं। पहली है सबसे ऊपर की मूर्ति जो किसी महिला की शांति में आंखे बंद किए केवल पाकेट शॉट के समान है। शांत इसलिए भी क्योंकि इसका रंग सफेद है और उसके चेहरे पर कोई अन्य भाव नजर नहीं आ रहे हैं। उसके सिर पर कोई मुकुट के समान चीज है जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि यह कोई सामान्य महिला नहीं है। कोई विशिष्ट महिला है। दूसरी चीज उसके नीचे वाले पायदान पर रखा छोटे लोटे के समान चीज। और तीसरी चीज है सबसे नीचे के पायदान पर रखा बेलनाकार रंगीन और चित्रों से परिपूर्ण एक चीज। मैं चीज इसलिए कह रहा हूं कि मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि इसे क्या कहते हैं। सबसे नीचे वाली वस्तु में काफी मेहनत की गई है। चौथी चीज है इन तीनों को संभाले रखने वाला रेक। रेक भी कला का एक अनूठा नमूना है। इसके रंग और आकृति काफी आकर्षक हैं। पांचवीं चीज है कि सबसे ऊपर की पेंटिंग। जो महत्वपूर्ण नहीं है इस कारण सका थोड़ा सिरा कट भी गया है। उस पेंटिंग से ज्यादा उसका लाल फ्रेम ध्यान खींच रहा है। अंदर के चित्र को देखे को लग रहा है कि किसी छोटे बच्चे ने कुछ बनाया हबै। जिसमें पहाड़ हैं, समुंद्र और पेड़ हैं। साथ ही बादल भी।


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