नदियों के दो सिरे, दो समानांतर रेखाओं की तरह होती
हैं जिनके बीच की दूरी कम-ज्यादा होती रहती है लेकिन वह कभी मिलते नहीं है। अधिकतर
नदियां समुंद्र में जाकर मिलती हैं जहां यह दूरी और बढ़ जाती है। दो ऐसे प्रेमी
जिनकी नियती में एक-दूसरे के साथ रहते हुए बिछड़ना लिखा है। इनसान ने इन दो
प्रेमियों को पुल बांध कर मिलाया। पुल निर्माण के लिए उसकी प्रेरणा भी प्रकृति ही
रही है। कभी किसी तूफान में कोई पेड़ गिरा होगा जिसके सहारे लोगों ने नदी को पार
किया होगा और इन दो प्रेमियों का मिलन हुआ होगा। तो पुल की कहानी कुछ यूं है।
इन तस्वीरों में अरुणाचल प्रदेश का एक गांव है। जहां
तक पहुंचने के लिए इस पुल का निर्माण गांववालों के द्वारा किया गया है। कुछ
रस्सियां, तार और लट्टे यानी लकड़ियां, बर पुल तैयार। भारत में ऐसे कई जगहें हैं
जहां अभी भी पुल के अभाव में गांववालों को काफी परेशानी होती है। लेकिन वहां के
लोग अपनी सुविधा और संसाधन के अनुसार पुल का निर्माण कर ही लेते हैं। लेकिन इस तरह
के पुल जितने रोमांचक लगते हैं उतने ही खतरनाक भी हैं।
तस्वीर में जो स्थानीय लोग दिखाई दे रहे हैं उनके
चेहरे पर निश्चल हंसी दिखाई दे रही है। और गर्व का भाव भी हो कि हमारे गांव को
देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। वैसे पहड़ों और नदियों के बीच बसे इस तरह के गांव
में कौन नहीं जाना चाहेगा। जहां दिमाग को ठंडक और दिल को सुकून मिले।