Friday 17 March 2017

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Awesome Pictures of Statue

जो इनसान सोचता है उसे व्यक्त करने के कई तरीके हो सकते हैं। उसमें से ही एक तरीका होता है मूर्ति निर्माण। और यह कला केवल इनसान के पास ही है। जानवरों या पक्षी अपनी भावनाओं का इजहार अपने हाव-भाव और आवाज के जरिए ही कर सकते हैं। इसके विपरित इनसान कई तरीकों से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम है।


पक्षियों के बारे में एक बात हमेशा कही जाती है कि वह अपनी मर्जी के मालिक होते हैं वह जहां चाहे विचर, उड़ और जा सकते हैं। उनको किसी वीजा की जरूरत नहीं होती और न ही बिना वीजा के किसी अन्य देश में जाने पर सजा ही होती है। इस तस्वीर में एक मूर्ति को कैमरे में कैद किया गया है। जिसमें दो पक्षी हैं जो डाल पर बैठे हैं। इस बात की पूरी संभावना है कि इसमें एक पक्षी नर व दूसरी मादा हो। तस्वीर को देखने से लगता है कि वह दोनों आपस में संवाद कर रहे हैं। या हो सकता है किसी बात पर बहस कर रहे हों जैसे आम परिवार में होता है। या किसी कपल के बीच नोंक-झोंक आम बात है। लेकिन जिस तरीके से इन दोनों के बीच आई कॉन्टेक्ट है उससे नोंक-झोंक वाली बात सही साबित नहीं होती। क्योंकि लड़ाई के दौरान में ज्यादा देर तक आई कॉन्टेक्ट नहीं करते। इसके विपरीत जब आप किसी से आत्मीयता से बात करते हैं तो सामने वाले की आँखों में ज्यादा देर झांकते हैं। इससे दोनों के बीच विश्वास बना रहता है। डाल के पत्तों और रंग भी इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि मूर्ति में प्यार की भावना ही विद्यमान है।

 

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जब भी किसी बच्चे की मूर्ति या तस्वीर सामने आती है मन में अपने आप भोलापन, चंचलता, निश्छलता जैसी भावनाएं उभरने लगती हैं। शायद इसलिए क्योंकि बच्चों के मन में किसी के प्रति को द्वेष नहीं होता। वे सभी को एक ही नजरिए से देखते हैं। शायद इसलिए ही बच्चों को भगवान का रूप कहा गया है। इस तस्वीर में भी एक बच्ची की मूर्ति की फोटो है। जिसके हाथ में एक टोकरी है। पहले के समय में गरीब घर के बच्चे या औरतें ही ऐसी स्कार्फ पहने नजर आते थे। तो इससे इस बात को बल मिलता है कि यह बच्ची अमीर तो नहीं है। और टोकरी में किसी को सामान देने के बजाय शायद कोई काम कर रही है। फोटो में इसकी परछाई भी नजर आ रही है जो निश्चित रूप से अंधेरी है। यह इस बच्ची की स्थिति को भी दर्शाता है कि सामने जो चीज साफ नजर आए जरूरी नहीं है कि उसकी वास्तविकता भी उतनी ही उजली हो। हो सकता है कि उसकी वास्तविकता काफी जटिल और अंधकारमय हो। चेहरे पर मासूमियत है पर मुस्कान नदारद है। खुशी का नामोनिशान नहीं है। वैसे इस तरह की स्थिति में खुशी के पल बहुत कम ही आते हैं। और आते भी है तो वह बहुत कम समय के लिए होते हैं। बच्ची के पैरों में जूते नहीं है और कपड़ों के अलावा कोई अन्य जेवर भी नहीं पहने हैं। इससे इसके आर्थिक स्थिति का भी पता लगाया जा सकता है।


दो मूर्तियों की छवि एक साफ और एक धुंधली। एक कुछ सोचता हुआ तो दूसरा किसी और को देखता हुआ। दोनों ही मूर्तियों ने टोपी पहन रखी है और टोपी पहनने की रिवाज इंग्लैंड में हुआ करता था। हर किसी के घर में कुछ हो न हो हैट और उसे टांगने की जगह जरूर होती थी। जिस तरह कपड़े व्यक्ति के बारे में काफी कुछ बताते हैं ठिक उसी तरह टोपियां भी इनसान के बारे में काफी कुछ कहती हैं। पुरानी फिल्में अगर देखें तो पाएंगे कि उसमें जो अमीर इंग्लिश मैन होते थे वह दूसरे तरह की टोपी या कहें की हैट पहना करते थे। जबकि इस तरह की टोपी मजदूर वर्ग के लोग पहना करते थे। लेकिन इसके कपड़े इस मजदूर से थोड़ा अलग कर रहे हैं। जबकि जो मूर्ति धुंधली नजर आ रही है उसके जूते के हिसाब के यह मजदूर वर्ग के व्यक्ति की ही मूर्ति समझ आ रही है। क्योंकि घुटनों तक के जूते काम के दौरान ही पहने जाते हैं। मूर्ति कुछ सोच रही है। चेहरे से पता चलता है कि यह कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति है जो शायद अपने भविष्य को लेकर परेशान हो। मूर्ति के दाहिने हाथ में कोई चीज नजर आ रही है शायद कोई हथियार है जिससे वह कार्य कर रहा है और उसके औचित्य के बारे में सोच रहा है। बहरहाल दोनों ही मूर्तियां विचार ही कर रही हैं एक नीचे देखकर तो दूसरा ऊपर की ओर देखकर।

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Wednesday 8 March 2017

Don’t Move, Statue

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रचनात्मकता या क्रियेटीविटी या कलात्मकता किसी भी रूप में हो सकती है। वह शब्द हों, चित्र या मूर्ति कला। सभी अपने अंदर के भावों को व्यक्त करने का एक सशक्त जरिया हैं। की बार जो बात हम हजारों शब्दों में भी वयक्त नहीं कर पाते वह किसी कविता या शेर में चंद पक्तियों में व्यक्त हो जाती है। ठीक इसी प्रकार चित्र या मूर्ति के साथ भी होता है। लेकिन शब्दों के  विपरीत चित्र या मूर्ति में हर व्यक्ति अपनी तरह का बात उसमें खोज निकालता है। इस बात की पूरी संभावना है कि एक ही चित्र में देखकर एक व्यक्ति एक बात कहें जबकि दूसरा व्यक्ति दूसरी बात और पता चले कि चित्रकार तीसरी बात सोच रहा है। मूर्तियों के साथ कुछ इसी तरह की होती है।


मूर्तिकला वर्षों पुरानी कला है। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भी यह कला थी और उस समय के लोगों ने कई प्रकार की मूर्तियों को बनाया। उस समय मूर्तियों के निर्माण का आधार था, वह जो कुछ देखते थे वही वह बनाते थे। इससे ही हमें इस बात का पता चलता है कि वह किसकी पूजा करते थे और उस समय कौन-कौन से जानवर या पौधे अस्तित्व में थे। यह इतिहास को समझने का भी एक अहम जरिया है। इस मूर्ति एक बालक नजर आ रहा है जिसके दोनों हाथों में कुछ है और केवल एक पांव जमीन पर है। बालक की मूर्ति के कारण साफ झलक रहा है कि इसमें मासूमियत है। जैसे लग रहा है कि बालक आखेट कर रहा है। बचपन में जैसे बच्चे केवल चड्डी पहनकर खेलने भाग जाया करते थे इसमें भी बालक के ऊपरी अंग खाली है और नीचे केवल बड़े कलात्मक तरीके से ढका हुआ है। इसके दोनों हाथ में जो चीज है उसे मशाल कह सकते हैं वैसे मुझे ज्यादा कैंडल स्टैंड लग रहा है। उस स्थिति में भी दोनों हाथों में मशाल ही होगी। केवल एक पांव जमीन होने के कारण यह आखेट मूर्ति ज्यादा लग रही है। क्योंकि बच्चे हमेशा भागते रहते हैं जिस कारण उसका क पांव हवा में ही रहता हैl

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घर के कोनों को इस्तेमाल करने का यह सटीक तरीका है। इस तस्वीर में पांच चीजें दिखाई दे रही हैं। पहली है सबसे ऊपर की मूर्ति जो किसी महिला की शांति में आंखे बंद किए केवल पाकेट शॉट के समान है। शांत इसलिए भी क्योंकि इसका रंग सफेद है और उसके चेहरे पर कोई अन्य भाव नजर नहीं आ रहे हैं। उसके सिर पर कोई मुकुट के समान चीज है जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि यह कोई सामान्य महिला नहीं है। कोई विशिष्ट महिला है। दूसरी चीज उसके नीचे वाले पायदान पर रखा छोटे लोटे के समान चीज। और तीसरी चीज है सबसे नीचे के पायदान पर रखा बेलनाकार रंगीन और चित्रों से परिपूर्ण एक चीज। मैं चीज इसलिए कह रहा हूं कि मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि इसे क्या कहते हैं। सबसे नीचे वाली वस्तु में काफी मेहनत की गई है। चौथी चीज है इन तीनों को संभाले रखने वाला रेक। रेक भी कला का एक अनूठा नमूना है। इसके रंग और आकृति काफी आकर्षक हैं। पांचवीं चीज है कि सबसे ऊपर की पेंटिंग। जो महत्वपूर्ण नहीं है इस कारण सका थोड़ा सिरा कट भी गया है। उस पेंटिंग से ज्यादा उसका लाल फ्रेम ध्यान खींच रहा है। अंदर के चित्र को देखे को लग रहा है कि किसी छोटे बच्चे ने कुछ बनाया हबै। जिसमें पहाड़ हैं, समुंद्र और पेड़ हैं। साथ ही बादल भी।


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