Saturday, 3 December 2016

Blue Door & Windows like Sky under your Foot


अगर आप कहीं घूमने जा रहे हैं तो कहां ठहरना पसंद करेंगे। होटल, रिजॉट या घर की तरह दिखने वाले गेस्ट हाउस में। सबके अपने विचार हो सकते हैं। आज की पीढ़ी के कई लोग गांव में नहीं रहे हैं। खेतों में काम नहीं किया है। वह इस बात से परिचित नहीं है कि एक झोपड़ीनुमा घर में रहने की क्या फिलिंग होती है। इसी फिलिंग को लोगों को फील कराने के लिए अब कई होटल हिल स्टेशनों पर गांव के घरों की तरह होटल भी बना रहे हैं। लेकिन यह जो तस्वीरें आपके सामने हैं वह गांववालों के ही घर है जिसे उन्होंने गेस्ट हाउस में तब्दील कर दिया है जिसमें यहां घूमने आए सैलानी वह फील करे और गांववाले भी कुछ पैसे कमा ले। यह एक अच्छा सौदा है।
 

इस तस्वीर में एक नीली खिड़की है। जिसके ऊपरी हिस्से में एक पक्षी का आकृति उकरी हुई है। नीला रंग मुझे हमेशा उम्मीद से ओत-प्रोत लगता है। जैसे नीला आसमान। यहां के जितने भी कमरे या दीवारें है वह बिना किसी रंग के हैं लेकिन कुछ भाग तेज नीले रंग का है जो अनायास की आपकी नजरों को अपनी ओर खिंच लेता है।  

इस तस्वीर में ऊपरी हिस्सा नीले रंग के हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ऊपरी हिस्से को बाद में बनाया गया है। इसकी नींव और नीचे की दीवारें पुरानी है जबकि उसके ऊपर आज के जमाने का कमरा बनाया गया है। जिंदगी भी कुछ ऐसी ही होती है हम पुरानी परंपराओं पर नए कलेवर के साथ नया आकार गढ़ते जाते हैं। नया आकार अगर पुरानी परंपराओं के समानांतर ही होता है और पुरानी परंपरा पर ज्यादा चोट नहीं करता तो वह बहुत आगे जाता है। नहीं तो भरभरा कर गिर जाता है। 


झोपड़ीनुमा घर में दरवाजे और खिड़कियां नीले रंग की है। निश्चित रूप से यह गांव का घर लग रहा है। लेकिन इसमें नए रंग को जोड़ कर इसमें कुछ नयापन लाने की कोशिश की गई है। जिससे यह सभी को अपनी ओर खिंच सके।  


कुछ बांस की खाली कुर्सियां है। इस जगह अगर मुझे लोहे की कुर्सियां दिखती तो ज्यादा अचंभा होता। बांस की कुर्सियां इस जगह को बिल्कुल सूट कर रही हैं। यह कुर्सियां इंतजार कर रही उन लोगों का जो इस पर बैठ हंसे, लड़े और चाय की चुस्कियों के साथ शहरों को भूल बस इस पल का मजा ले। 


यह शायद कमरे को गर्म रखने की चिमनी है। इसके साथ ही दीवारों पर कुछ और चीजें भी लटक रही हैं जो वहां की परंपरा की दर्शा रही है। इस दीवार में दरवाजे के बगल में जो छोटी से जगह कुछ रखने के लिए बनी है आमतौर पर वैसी जगह गांव के घरों में दीये रखने के लिए बनी होती है। और जिसका ऊपरी सिरा काला पड़ा होता है। चूंकि अब यह केवल एक फील के लिए गांव जैसा घर तो यह साफ दिख रहा है। दीवार का रंग भी गांव में जैसे मिट्टी की दीवार गोबर सो लीपी गई होती है उसी प्रकार का है।

Friday, 2 December 2016

Endless sky













हम जब भी ऊपर देखते हैं एक अनन्त आकाश दिखाई देता है। जिसकी कोई सीमा नहीं है। और शायद है भी वह हमारी पहुंच से काफी दूर है। हर व्यक्ति के ऊपर देखने का कारण अलग-अलग होता है। सचिन का जब भी शतक पूरा होता था वह ऊपर देख भगवान का शुक्रिया अदा करते थे। मुझे बचपन में हमेशा यही लगता था कि भगवान ऊपर ही कहीं रहते हैं। और मैं उड़ पाया तो वहां तक पहुंच जाऊंगा। खुला आसमान हमेशा उम्मीदों का प्रतिनिधि करता है।


इन तस्वीरों में खुला आसमान, पहाड़ियां, बादल और उनसे छन कर आती हुई रौशनी दिखाई दे रही है। इस तरह का दृश्य किसी के भी मन को मोहने के लिए काफी है। इन तस्वीरों में रौशनी छन कर आ रही है वह दैवीय प्रतीत हो रही हो। और उस रौशनी में नीचे का नजारा और भी सुन्दर दिखाई पड़ रहा है।

Tuesday, 29 November 2016

The pillar of life


सभी व्यक्ति चाहते हैं कि उसके सर पर छत हो। क्योंकि छत का होना सुरक्षा का एहसास करता है। दिल को यह तसल्ली रहती है कि आप सुक्षित हैं- पानी, हवा और जानवरों से। छत और उसको थामे रखने वाली दिवारे मिलकर घर या मकान बनाती है।




इस तस्वीर में कुछ पिलर दिख रहे हैं जिसने छत को थामे रखा है। आज के समय में एक मजबूत घर के नींव और पिलरों का होना बहुत जरूरी है। यह पिलर जिंदगी के स्तंभों को भी बयान कर रहे हैं। क्यों हर किसी की जिंदगी कई पिलरों पर टीकी रहती है। जिसमें परिवार और दोस्त शामिल होते हैं। जब भी इसमें से कोई स्तंभ हटता तो एक झटका महसूस होता है। पिलर के हटने से छत के गिरने के आसार बढ़ जाते हैं। ठीक उसी तरह जब जिंदगी का कोई महत्वपूर्ण स्तंभ गिरता है तो व्यक्ति भी गिरने की स्थिति में आ जाता है। हर स्तंभ का अपना महत्व होता है। अगर दो स्तंभों के बीच का कोई स्तंभ गिरता है तो कम असर पड़ता है। यह बात जिंदगी के स्तंभ पर भी लागू होती है।






जब इनसान छोटा होता है तो सभी सोचते हैं कि एक छोटा सा घर हो, पहाडों पर। लेकिन जैसे जैसे इनसान बड़ा होता जाता है उसकी जरूरते और उससे जुड़ी सामानों की तादात और आकार बड़ा होने लगता है। जो किसी छोटे घर में समेटना मुश्किल हो जाता है। यह छोटा घर उसी बचपन के घर की याद दिलाता है। जो पेड़ों से घिरा हुआ है। जिसमें छोटी-छोटी खिड़कियां है। जिससे होते हुए हवा घर में रहने वाले व्यक्ति तक सीधे पहुंचती है। उसे उस तक पहुंचने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। 



हर चीज का अंत निश्चित है। यह घर इसी बात की ओर इशारा कर रहा है।