Tuesday 29 November 2016

The pillar of life


सभी व्यक्ति चाहते हैं कि उसके सर पर छत हो। क्योंकि छत का होना सुरक्षा का एहसास करता है। दिल को यह तसल्ली रहती है कि आप सुक्षित हैं- पानी, हवा और जानवरों से। छत और उसको थामे रखने वाली दिवारे मिलकर घर या मकान बनाती है।




इस तस्वीर में कुछ पिलर दिख रहे हैं जिसने छत को थामे रखा है। आज के समय में एक मजबूत घर के नींव और पिलरों का होना बहुत जरूरी है। यह पिलर जिंदगी के स्तंभों को भी बयान कर रहे हैं। क्यों हर किसी की जिंदगी कई पिलरों पर टीकी रहती है। जिसमें परिवार और दोस्त शामिल होते हैं। जब भी इसमें से कोई स्तंभ हटता तो एक झटका महसूस होता है। पिलर के हटने से छत के गिरने के आसार बढ़ जाते हैं। ठीक उसी तरह जब जिंदगी का कोई महत्वपूर्ण स्तंभ गिरता है तो व्यक्ति भी गिरने की स्थिति में आ जाता है। हर स्तंभ का अपना महत्व होता है। अगर दो स्तंभों के बीच का कोई स्तंभ गिरता है तो कम असर पड़ता है। यह बात जिंदगी के स्तंभ पर भी लागू होती है।






जब इनसान छोटा होता है तो सभी सोचते हैं कि एक छोटा सा घर हो, पहाडों पर। लेकिन जैसे जैसे इनसान बड़ा होता जाता है उसकी जरूरते और उससे जुड़ी सामानों की तादात और आकार बड़ा होने लगता है। जो किसी छोटे घर में समेटना मुश्किल हो जाता है। यह छोटा घर उसी बचपन के घर की याद दिलाता है। जो पेड़ों से घिरा हुआ है। जिसमें छोटी-छोटी खिड़कियां है। जिससे होते हुए हवा घर में रहने वाले व्यक्ति तक सीधे पहुंचती है। उसे उस तक पहुंचने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। 



हर चीज का अंत निश्चित है। यह घर इसी बात की ओर इशारा कर रहा है।

Monday 28 November 2016

Godly in God home











बिना भक्त के भगवान का कोई मोल नहीं है। अगर भक्त है तो भगवान है। भक्त के कारण ही भगवान की प्रासंगिकता, उपयोगिता और महत्व बना रहता है। हर धर्म में भगवान की पूजा करने या उनको खुश करने के अपने तरीके होते हैं। हवन करना, प्रसाद चढ़ाना, मोमबत्ती जलाना, नमाज पढ़ना उसी अलौकिक शक्ति की पूजा व साधना करने का एक तरीका है। इन तस्वीरों में भी भक्त हवन के द्वारा भगवान को अपनी भक्ति प्रदर्शित कर रहे हैं।


हर धर्म में जिस रस्म की शुरुआत की गई उसके पीछे कई कारण कार्य करते रहे हैं। जैसे नदियों में सिक्का डालना जिससे पानी शुद्ध हुआ करता था। रस्में इनसान को भगवान के साथ ज्यादा से ज्यादा समय तक जोड़े रखने का कार्य करता है। मान लिजिए की रस्में न होती तो हम कितना समय मंदिर या मस्जिद में गुजारते। शायद बहुत कम। हम जाते माथा टेकते और चलते बनते। 


इन तस्वीरों में भक्त भगवान की पूजा कर रहे हैं। पहली तस्वीर में लोग पारंपरिक परिधान में हवन के इर्द-गिर्द खड़े होकर भगवान को आहूत दे रहे हैं। यह तस्वीर में भगवान में भक्तों की आस्था को दर्शाता है। जो सब कुछ मंदिर के बाहर छोड़ एक साथ एक अनुष्ठान के लिए यहां उपस्थित हैं। दूसरी तस्वीर में भक्तों की पदुकाएं (चप्पल) मंदिर के बाहर दिख रही हैं और बोर्ड जिस पर लोगों के लिए सूचनाएं और निर्देश लिखे हुए हैं। किसी भी जगह की व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस तरह के बोर्ड काफी मददगार साबित होते हैं। तीसरी तस्वीर वाइड व्यू है मंदिर परिसर का जिसमें मंदिर का काफी बड़े भाग के साथ ही लोगों को हवन करते देखा जा सकता है। अंतिम तस्वीर में मंदिर परिसर में महामृत्युजंय मंदिर का द्वार है जहां कुछ लोग वार्तालाप कर रहे है और मंदिर की घंटी के घंटे दिखाई दे रहे हैं। किसी धर्म स्थान पर जाना और अपने ईश्वर को याद करना इनसान को भावनात्मक रूप से मजबूत करता है। क्योंकि जब इनसान हर जगह से हार जाता है तो वह भगवान की शरण में जाता है। उसकी समस्या का समाधान वहां मिले या न मिले पर वह उस स्थिति को झेलने की शक्ति वहां से लेकर ही आता है।