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Wall of Old stones |
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Wall of Old stones |
मसूरी की इस जगह को
देखते ही सबसे पहले हमें पत्थरों से बनी दिवारें नजर आती है। और एक रेलिंग
बाउंड्री जो किसी को ऊपर जाने और नीचे आने की सुविधा के लिए बनाया गया है। ये
टिले पर किसी पर घर है। मिट्टी को बहने और गिरने से बचाने के लिए उसे पत्थरों की
ईटों से रोका गया है। पहले पत्थरों को ईटों के आकार का काटकर उससे ही घर बनाए जाते
थे। वह मजबूत भी होते थे और पत्थर सुलभता से मिल भी जाते थे। राजस्थान के कई
इलाकों में अभी इसी तरह से बने कई मकान मिल जाते हैं। तस्वीर में अधिकर ईटें ही
नजर आ रही हैं। जिन पर समय ने काई बिछा
दी है। काई की भी अपनी कहानी है जिसे पहनपने में कई बरस लग जाते हैं। जिन दीवारों
और जगहों को रोजाना साफ किया जाता है वहां यह पनप नहीं पाती। क्योंकि इसको पनपने
के लिए कम साफ सफाई और पानी या नमी की आवश्यकता होती है। काई के आधार पर ही यह पता
लगाया जा सकता है कि उस जगह को किसी ने कितने दिन पहले साफ किया होगा। इन दिवारों
में नीचे की दीवार में ज्यादा काई जबकि सबसे ऊपर की दीवार पर काई नहीं है। इस जगह
पर रेलिंग का इस्तेमाल बच्चों को या किसी का संतुलन बिगड़ने की स्थिति में बचाने
के लिए किया गया है। लेकिन इसके साथ ही सबसे पहले इसमें एक गेट लगाया गया है
जिसमें ताला लगाने की सुविधा है। जिससे अवांछित चीजों को दूर रखा जा सके।
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Enter the Biggg Door made by Stones |
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Enter the Biggg Door made by Stones |
ये तस्वीरें मसूरी के
रिजॉट की है। फोटो को देखते ही सबसे पहले एक गेट दिखता है जो पुराने पत्थरों से
बना है। जो वाकई में पुराना भी है। इसके डिजाइन और उपर लगी काई से इस बात की
पुष्टि होती है। आज के समय में कई पुरानी जगहों को होटल या रिजॉट में तब्दील कर
दिया गया है। जिससे लोगों को वह पुरानी फिलिंग आ सके।
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