Rest in peace |
Garden on top with peaceful place |
प्रकृति का साथ किसे अच्छा नहीं लगता। हरे-हरे पेड़, नीला आसमान और उसके नीचे आराम से बैठना या लेटना। इनसान कितना भी राजसी ठाठ-बाठ में रहे, कितनी भी महंगी गाड़ियों में घूमें। लेकिन प्रकृति की गोद में उसे एक अलग तरह का ही सुकून मिलता है। यहां पहली और दूसरी तस्वीर में मानव निर्मित प्रकृति के साथ झूले लगाए गए हैं। बचपन में गांव में बच्चे पेड़ों पर झूले बांधकर खेला करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम ज्यादा आधुनिक होते जा रहे हैं उनसे नाता टूटता जा रहा है। आधुनिकता की दौड़ में साधारण की चीजों का मजा लेना भी भूल गए हैं। अब वही साधारण की चीजों के लिए हमें पैसे देना पड़ता है। अब झोपड़ीनुमा होटल बन रहे हैं। हम उन्हीं झोपड़ियों से होते हुए ही तो कंक्रीट की महलों में आए हैं। अब वापस उसी ओर लौट रहे हैं। यह झूले कुछ उसी तरह का अहसास दे रहे हैं। यह किसी हिल स्टेशन के किसी होटल का बागीचा है जिसमें झूले लगाए गए हैं। वहां जो भी ठहरने आता है वह इस झूले का आनंद ले सकता है। शहरों में अब तो पेड़ ही नहीं बचे और बचे हैं उस पर आप झूला टांग कर आसाम नहीं फरमा सकते। इसकी कई वजहें हो सकती है।
Waiting for Someone |
No comments:
Post a Comment