नदिया बहे-बहे रे धारा...................... तुझे
चलना होगा......तुझे चलना होगा। यह गाना नदि का उदाहरण देते हुए मनुष्य को जीवन
हमेशा चलते रहने के लिए प्रेरणा देता है। नदी मानव जीवन के लिए भी काफी जरूरी है।
इसके बिना जीवन की कल्पना थोड़ी मुश्किल हो जाती है। पुरानी सभ्यताओं को गौर करें
तो वह सभी नदियों के किनारे पर ही बसी थी। चाहे वह नील नदी के किनारे मिश्र की
सभ्यता हो या सिंधु नदी के किनारे सिंधु घाटी की सभ्यता।
नदियों के किनारे मनुष्य का बसना काफी आसान होता है।
इससे कई तरह की समस्याएं आसान हो जाती हैं। जैसे पीने का पानी, खेतों की सिंचाई,
मवेशियों के लिए पानी, आने जाने में आसानी और खाने के लिए मछलियां भी प्रयाप्त
मात्रा में मिलती है। इसके अलावा नदियों के पास प्राकृतिक रूप से हरियाली रहती है
तो पेड़ पौधों से मनुष्य को काफी कुछ मिल जाता है।
इन चित्रों में आप आसानी से देख सकते हैं कि नदी के
किनारे ही एक गांव बसा हुआ है। यह पूर्वोत्तर भारत का इलाका है। यहां पहाड़ नदियों
का ऐसा संगम दिखाई देता है। देखा जाए तो पर्यटन के लिहाज से यह इलाका भी काफी
सम्पन्न है।
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