Tuesday, 20 December 2016

Room For Rest


आमतौर पर चौतारा इसलिए बनवाया जाता है कि राहगिर उस पर बैठकर आराम कर सकें। आराम करने के बाद वह अपना आगे का सफर तय करें। क्योंकि पहले तो पैदल ही कहीं भी जाया जाता है और अगर कोई धनवान है तो उसके पास घोड़ा गाड़ी या बैल गाड़ी हुआ करती थी। पहले लोग महीनों का सफर कर अपने कमाई के स्थान पर जाया करते थे। यह चौतारा सड़क के किनारे बना हुआ है। इसका आकृति और डिजाइन पुराना है। पर इसको पुन: बनाया गया है। क्योंकि इसमें नए पत्थर पर दिखाए दे रहे हैं। अब नए में कोई चौतारा नहीं बनवाता क्योंकि अब साधन इतने ज्यादा हो गए हैं कि आराम से सफर करते हुए अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचा जा सकता है।
 




खपरैल के घर अब देखने को नहीं मिलते। किसी आश्रम में जाएंगे तो तब ही वह दिखेंगे। क्योंकि लोगों के पास अब संसाधनों की कमी नहीं है। और खपरैल के घर में जितनी मेहनत की जरूरत होती है उतनी करने को कोई तैयार नहीं है। खपरैल के घर को हर साल बरसात से पहले मरम्मत की जरूरत होती है। हां इतना जरूर है कि कितनी भी गर्मी हो खपरैल का घर ठंडा ही रहता है। इस घर की जालीदार दीवारों से साफ पता चल रहा है कि यह किसी का निजी का घर नहीं है। यह आश्रम या इसी तरह का कोई ठहराव की जगह है।

Monday, 19 December 2016

Land of Sand



किसी ने कहा है कि जब सब कुछ खत्म हो जाएगा तब भी नमक रहेगा। कैसे? क्योंकि जब सब कुछ खत्म हो जाएगा तो भगवान के आंसू निकलेंगे और उस आंसू में नमक होगा। नमक केवल खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि नमक कई कामों में आता है। जैसे दवाई। नमक से तो लोगों की वफादारी तक तय कर दी जाती है। सरदार मैंने आपका नमक खाया है।गांव में जब जमीन नापने वाला अमीन आता है तो वह काम करने से पहले कुछ नहीं खाता। इसकी वजह नमक ही है। क्योंकि अगर वह नमक खा लेगा तो वह नमक हरामी नहीं कर सकता। नमक हलाली करनी पड़ेगी। 






नमक के साथ कई फिल्मों के नाम भी जुड़े हुए हैं। जैसे नमक हराम, नमक हलाल। इन फिल्मों में भी नमक का हक अदा करने की बात कही गई है।





इन तस्वीरों में गुजरात के कच्छ का रण दिखाई दे रहा है। दूर-दूर तक केवल नमक का रण है। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां मेला भी लगता है। इन तस्वीरों में आप नमक बनाने की प्रक्रिया भी देख सकते हैं। कि कैसे पानी को सूखा उसमें के नमक को निकाला जाता है। कुछ ऐसा ही गांधी जी ने समुंद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजों के कानून का उल्लंघन कर उनको मुंहतोड़ जवाब दिया था।

Sunday, 11 December 2016

Sky is Blue, Mountain is Green… White… Brown…



प्रकृति ने अपने गर्भ में क्या-क्या छिपा रखा है उन सभी को देखना एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है। क्योंकि प्रकृति के गर्भ में क्या-क्या छिपा है वह हमें खुद ही नहीं पता। बस समय-समय पर नई-नई चीजें निकलती रहती है। अभी हाल ही में एक रिपोर्ट में लिखा था कि करीब 75 प्रतिशत भारतीय कहीं भी घूमने नहीं जाते। क्या वह घूमना नहीं चाहते? मुझे नहीं लगता। हर व्यक्ति की परिस्थिति शायद ऐसी नहीं होती कि वह कहीं घूमने जा सके।




आमतौर पर हम वैसी जगह घूमने जाते हैं जो हमारे वर्तमान वातावरण से अलग हो। या उस जगह की कोई ऐतिहासिक महत्ता हो। जैसे जो व्यक्ति हमेशा बर्फ के आसपास रहता हो वह कभी भी बर्फ वाली जगह पर घूमने नहीं जाना चाहेगा। वह शायद डेजर्ट सफारी करना पसंद करे। या किसी ऐतिहासिक जगह पर जाना पसंद करे। भारत के परिप्रेक्ष्य में कहे तो शायद ताज महल देखे या जयपुर का किला आदि।






लेकिन इसके विपरीत अगर व्यक्ति मैदानी इलाके है वैसे भी भारत का ज्यादातर हिस्सा मैदानी इलाका ही है, तो वह पहाड़ देखना पसंद करेगा, बर्फ में खेलना चाहेगा। उसके गोले से पीटना और पिटना चाहेगा। इन तस्वीरों में पहाड़ है, नीला आसमान है और एक तस्वीर में बर्फीली पहाड़िया भी है। इन जगहों पर आमतौर पर ज्यादातर भारत घूमना पसंद करता है। क्योंकि उसने ज्यादातर मैदान ही देखा होता है। पहाड़ों से टकराते बादल उसने कभी नहीं देखे होते।