Tuesday, 27 December 2016

Bridge to Terabithia


नदियों के दो सिरे, दो समानांतर रेखाओं की तरह होती हैं जिनके बीच की दूरी कम-ज्यादा होती रहती है लेकिन वह कभी मिलते नहीं है। अधिकतर नदियां समुंद्र में जाकर मिलती हैं जहां यह दूरी और बढ़ जाती है। दो ऐसे प्रेमी जिनकी नियती में एक-दूसरे के साथ रहते हुए बिछड़ना लिखा है। इनसान ने इन दो प्रेमियों को पुल बांध कर मिलाया। पुल निर्माण के लिए उसकी प्रेरणा भी प्रकृति ही रही है। कभी किसी तूफान में कोई पेड़ गिरा होगा जिसके सहारे लोगों ने नदी को पार किया होगा और इन दो प्रेमियों का मिलन हुआ होगा। तो पुल की कहानी कुछ यूं है।



इन तस्वीरों में अरुणाचल प्रदेश का एक गांव है। जहां तक पहुंचने के लिए इस पुल का निर्माण गांववालों के द्वारा किया गया है। कुछ रस्सियां, तार और लट्टे यानी लकड़ियां, बर पुल तैयार। भारत में ऐसे कई जगहें हैं जहां अभी भी पुल के अभाव में गांववालों को काफी परेशानी होती है। लेकिन वहां के लोग अपनी सुविधा और संसाधन के अनुसार पुल का निर्माण कर ही लेते हैं। लेकिन इस तरह के पुल जितने रोमांचक लगते हैं उतने ही खतरनाक भी हैं।




तस्वीर में जो स्थानीय लोग दिखाई दे रहे हैं उनके चेहरे पर निश्चल हंसी दिखाई दे रही है। और गर्व का भाव भी हो कि हमारे गांव को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। वैसे पहड़ों और नदियों के बीच बसे इस तरह के गांव में कौन नहीं जाना चाहेगा। जहां दिमाग को ठंडक और दिल को सुकून मिले।

Friday, 23 December 2016

Hide and Seek with clouds


पहाड़ देखना और उसके बराबर ऊंचाइयों तक पहुंचना हर व्यक्ति चाहता है। इतना ऊंचा उठना की वहां से हर कुछ छोटा नजर आए। लेकिन उसके साथ ही वह बात नजरिए में नहीं आनी चाहिए। बड़ा होने का घमंड का जिस दिन उसके दिमाग में घर कर गया उस दिन से उसकी उल्टी गिनती शुरू।






पहाड़ पर जाना कौन नहीं चाहेगा? इन तस्वीरों में आकर्षक पहाड़ और खुला आसमान नजर आ रहा हैं। लेकिन उसके साथ ही एक क्रॉस भी नजर आ रहा है। सफेद क्रॉस। आमतौर पर ऐसा मैंने फिल्मों में देखा कि किसी की मौत पर उसके ऐसी जगह दफना कर क्रॉस लगा दिया जाता है। वहां क्रॉस हाथ से बांधा हुआ होता है। इस तस्वीर में क्रॉस बड़े सलीके से बनाया गया है। इस बात की पूरी संभावना है कि किसी की दिली तमन्ना रही हो कि उसे इस पहाड़ पर हमेशा रखा जाए। एक ऐसा व्यक्ति जो मरने के बाद भी पहाड़ों से दूर नहीं होना चाहता।


पहाड़ों पर एक पुराना आलिशान घर। सफेद बादल के साथ सफेद घर। बस जरा सोचिए अगर यह घर नया होता एकदम सफेद और सफेद बादलों के साथ इसकी छवि क्या अद्भूत होती।


शाम को कोई क्या करना चाहेगा। निश्चित रूप से अगर कोई पहाड़ों पर घूमने गया तो वह डूबते हुए सूरज को ही देखना चाहेगा। या बादल के साथ उसकी लुका-छिपी। यहां यह बात गौर करने वाली है कि अगर वह घूमने गया है तो, अगर वह वहां का ही बाशिंदा है तो उसके लिए यह रोज की बात होगी। जैसे घर की मुर्गी दाल बराबर।


 
ऊंचाई से सब कुछ कितना छोटा नजर आता है। लेकिन आप कितना भी ऊपर पहुंच जाए आप किसी न किसी के नीचे होते हैं। तस्वीर में काले बदल नजर आ रहे हैं। जिसने सभी को एक जैसा अंधेरे में डाल दिया है। उसके लिए ऊंच-नीच का कोई अंतर नहीं है। पहाड़ों की बारिश जितनी मनोहर होती है उतनी ही खतरनाक भी होती है।