पहाड़ देखना और उसके बराबर ऊंचाइयों तक पहुंचना हर व्यक्ति चाहता है। इतना
ऊंचा उठना की वहां से हर कुछ छोटा नजर आए। लेकिन उसके साथ ही वह बात नजरिए में
नहीं आनी चाहिए। बड़ा होने का घमंड का जिस दिन उसके दिमाग में घर कर गया उस दिन से
उसकी उल्टी गिनती शुरू।
पहाड़ पर जाना कौन नहीं चाहेगा? इन तस्वीरों में आकर्षक
पहाड़ और खुला आसमान नजर आ रहा हैं। लेकिन उसके साथ ही एक क्रॉस भी नजर आ रहा है।
सफेद क्रॉस। आमतौर पर ऐसा मैंने फिल्मों में देखा कि किसी की मौत पर उसके ऐसी जगह
दफना कर क्रॉस लगा दिया जाता है। वहां क्रॉस हाथ से बांधा हुआ होता है। इस तस्वीर
में क्रॉस बड़े सलीके से बनाया गया है। इस बात की पूरी संभावना है कि किसी की दिली
तमन्ना रही हो कि उसे इस पहाड़ पर हमेशा रखा जाए। एक ऐसा व्यक्ति जो मरने के बाद
भी पहाड़ों से दूर नहीं होना चाहता।
पहाड़ों पर एक पुराना आलिशान घर। सफेद बादल के साथ
सफेद घर। बस जरा सोचिए अगर यह घर नया होता एकदम सफेद और सफेद बादलों के साथ इसकी
छवि क्या अद्भूत होती।
शाम को कोई क्या करना चाहेगा। निश्चित रूप से अगर कोई
पहाड़ों पर घूमने गया तो वह डूबते हुए सूरज को ही देखना चाहेगा। या बादल के साथ
उसकी लुका-छिपी। यहां यह बात गौर करने वाली है कि अगर वह घूमने गया है तो, अगर वह
वहां का ही बाशिंदा है तो उसके लिए यह रोज की बात होगी। जैसे घर की मुर्गी दाल
बराबर।
ऊंचाई से सब कुछ कितना छोटा नजर आता है। लेकिन आप
कितना भी ऊपर पहुंच जाए आप किसी न किसी के नीचे होते हैं। तस्वीर में काले बदल नजर
आ रहे हैं। जिसने सभी को एक जैसा अंधेरे में डाल दिया है। उसके लिए ऊंच-नीच का कोई
अंतर नहीं है। पहाड़ों की बारिश जितनी मनोहर होती है उतनी ही खतरनाक भी होती है।
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